नई दिल्ली, एजेंसी। रेल हादसों को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। 30 जुलाई को झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में मुंबई-हावड़ा मेल के 18 डिब्बे पटरी से उतर गए, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। इस हादसे के बाद विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है। इस पर अब लोकसभा में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि हम उन लोगों में से नहीं हैं जो रील्स बनाते हैं।
अश्विनी वैष्णव ने कहा: “मैं पीएम मोदी को धन्यवाद करना चाहूंगा कि उन्होंने मेरे जैसे साधारण कार्यकर्ता को देश की सेवा करने का मौका दिया। मैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी धन्यवाद देता हूं कि रेलवे की सबसे बड़ी जो समस्या थी, निवेश की कमी, उसे उन्होंने पीएम मोदी के निर्देश पर बजट में एक रिकॉर्ड आवंटन करके लगातार कई वर्षों तक बजट आवंटन बढ़ा कर दूर किया। मैं रेलवे के उन 12 लाख कर्मचारियों, उस रेल परिवार को भी धन्यवाद देता हूं जो हर दिन 20 हजार से ज्यादा ट्रेनें चलाते हैं और देश की सेवा करते हैं।”
विपक्ष पर साधा निशाना: विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “जो यहां चिल्ला रहे हैं, उनसे यह पूछा जाना चाहिए कि सत्ता में रहने के 58 वर्षों में भी वे ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी) को क्यों नहीं ला पाए? आज वे यहां सवाल करने की हिम्मत कर रहे हैं। जब ममता बनर्जी रेल मंत्री थीं, तब वह दुर्घटना के आंकड़े देती थीं, जो 0.24 से घटकर 0.19 हो गए। ये लोग तब सदन में ताली बजा रहे थे। आज जब यह आंकड़ा 0.19 से घटकर 0.03 हो गया, तो ये दोष लगा रहे हैं। क्या यह देश ऐसे ही चलेगा? कांग्रेस सोशल मीडिया पर ट्रोल आर्मी की मदद से झूठी बातें उछालती है। क्या वे उन दो करोड़ लोगों के दिलों में डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, जो हमेशा रेल से यात्रा करते हैं?”
अश्विनी वैष्णव ने कहा: “हम उन लोगों में से नहीं, जो रील्स बनाते हैं। हम मेहनत करते हैं, न कि आप लोगों की तरह जो दिखावा के लिए रील्स बनाते हैं।”
लोको पायलटों के कामकाज और आराम: अश्विनी वैष्णव ने बताया कि लोको पायलटों के औसत कामकाज और आराम करने का समय 2005 में बनाए गए नियम के तहत तय किया जाता है। 2016 में इन नियमों में कई सुधार किए गए और लोको पायलटों को अधिक सुविधाएं दी गईं। रेल मंत्री ने आगे बताया कि जनरल कोचों की मांग बढ़ गई है। यह सुविधाएं उन लोगों के समय शून्य थी, जो आज रील्स बनाकर सहानुभूति दिखाते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए लगभग 2,500 जनरल कोचों का उत्पादन जल्द पूरा हो जाएगा। प्रत्येक मेल और एक्सप्रेस ट्रेन में न्यूनतम चार जनरल कोच होंगे।