फतेहपुर। सिख समुदाय के आठवें गुरु, गुरु हरकिशन साहिब का 367वां प्रकाश पर्व श्रद्धा के साथ गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में मनाया गया। गुरुद्वारा परिसर में लंगर का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत करके लंगर का प्रसाद चखा। कार्यक्रम की अगुवाई गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा ने की।
ज्ञानी गुरुवचन सिंह ने बताया कि सिखों के आठवें गुरु हरकिशन साहिब का जन्म 7 जुलाई 1656 ई. को कीरतपुर साहिब में गुरु हर राय साहिब और माता किशन कौर के घर में हुआ था। पांच वर्ष की अल्पायु में गुरु हरकिशन साहिब जी को गुरुगद्दी प्रदान की गई। गुरु हर राय साहिब जी ने 1661 में गुरु हरकिशन साहिब जी को अष्टम गुरु के रूप में स्थापित किया।
बहुत ही कम समय में गुरु हरकिशन साहिब जी ने समान्य जनता के साथ अपने मित्रतापूर्ण व्यवहार से राजधानी दिल्ली में लोगों से लोकप्रियता हासिल की। इसी दौरान दिल्ली में हैजा और चेचक जैसी बीमारियों का प्रकोप महामारी के रूप में आया। गुरु हरकिशन साहिब ने जात-पात और ऊंच-नीच को दरकिनार करते हुए सभी भारतीय जनों की सेवा का अभियान चलाया। खासकर दिल्ली में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग गुरु साहिब की इस मानवता की सेवा से बहुत प्रभावित हुए और गुरु साहिब को बाला पीर कहकर पुकारने लगे।
गुरु हरकिशन साहिब ने दिन-रात महामारी से ग्रस्त लोगों की सेवा की। “श्री हरकिशन धिआईऐ, जिस डिठे सब दुख जाए” के अनुसार, मान्यता है कि गुरु साहिब का नाम लेने से सभी बीमारियों का अंत होता है।
इस मौके पर प्रधान सेवक चरनजीत सिंह, जतिंदर पाल सिंह, परमजीत सिंह, परमिंदर सिंह, वरिंदर सिंह, नरेंद्र सिंह, संतोख सिंह, गोविंद सिंह, सतपाल सिंह, सरनपाल सिंह, गुरमीत सिंह और महिलाओं में हरजीत कौर, मंजीत कौर, हरविंदर कौर, सतबीर कौर, जसवीर कौर, प्रभजीत कौर, हरमीत कौर, परमीत कौर, और खुशी उपस्थित रहीं।