नई दिल्ली, एजेंसी। संसद के मानसून सत्र का आज नौंवां दिन है। संसद की दोनों सदनों में आज दिल्ली कोचिंग हादसे का मुद्दा उठा। संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर चर्चा हुई। वहीं लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने केंद्रीय बजट 2024 को लेकर सरकार पर निशाना साधा। इस दौरान उन्होंने चक्रव्यूह का उदाहरण दिया। साथ ही बजट की हलवा सेरेमनी पर कुछ ऐसा कह दिया, जिसे सुनकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने दोनों हाथ माथे पर रख लिए।
उन्होंने कहा कि महाभारत में अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फंसाकर मारा गया। चक्रव्यूह कमल के आकार जैसा था। आज भी वैसा ही चक्रव्यूह रचा जा रहा है और प्रधानमंत्री कमल का निशान अपने सीने पर लगाकर चलते हैं। चक्रव्यूह में देश को फंसाया गया।
राहुल गांधी के इतना कहते ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने माथे पर हाथ रख लिए। हालांकि, हंगामे के बीच लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने आगे भाषण जारी रखा। उन्होंने कहा, “सर, आप हलवा खा रहे हैं और बाकी लोगों को हलवा मिल ही नहीं रहा है। हमने पता किया है कि 20 अधिकारियों ने बजट तैयार किया है। अगर आप लोग नाम चाहते हैं तो मैं आपको इन अधिकारियों के नाम भी दे सकता हूं। इसका मतलब 20 अधिकारियों ने बजट बनाया है। मतलब हिंदुस्तान का हलवा 20 लोगों ने बांटा है। बांटता कौन है वही दो या तीन प्रतिशत लोग, मिलता किसे है? केवल इन तीन प्रतिशत को ही। बाकी 99 प्रतिशत को क्या मिलता है?”
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, “भारत में डर का माहौल है और यह डर हमारे देश के हर पहलू में व्याप्त है। सरकार ने बजट में बड़े व्यापारियों को फायदा पहुंचाया, लेकिन छोटे दुकानदारों और करदाताओं को कोई फायदा नहीं दिया गया। रोजगार के मुद्दे पर राहुल ने कहा कि बजट में इंटर्नशिप प्रोग्राम की बात शायद एक मजाक था। ये इंटर्नशिप देश की बड़ी कंपनियों में दी जाएगी, लेकिन इससे युवाओं को कोई फायदा नहीं होगा। युवाओं का आज का मुख्य मुद्दा पेपरलीक है। बीते 10 वर्षों में 70 बार इस देश में पेपरलीक की घटना हुई है।”
हलवा सेरेमनी की दिखाई तस्वीर
इसी दौरान, राहुल गांधी ने हलवा सेरेमनी की एक तस्वीर सदन में दिखाने की कोशिश की, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मना कर दिया। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा, “मैं तस्वीर दिखाकर समझाना चाहता हूं कि बजट का जो हलवा बंट रहा है और इस तस्वीर में एक ओबीसी अधिकारी नहीं दिख रहा है। यहां तक कि एक आदिवासी अधिकारी और एक दलित अधिकारी तक नहीं दिख रहा। यह हो क्या रहा है? देश का हलवा बंट रहा है और इसमें केवल वही लोग नहीं हैं।”