नई दिल्ली, एजेंसी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नीति आयोग की सरकारी परिषद की बैठक में शामिल नहीं हो सकती हैं। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, टीएमसी सुप्रीमो ने बैठक में शामिल होने का इरादा जताया था, लेकिन सूत्रों ने गुरुवार को संकेत दिया कि अब वह बैठक में भाग नहीं लेंगी, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
सूत्रों का कहना है कि इंडिया ब्लॉक के हिस्से के रूप में विपक्ष शासित राज्यों के कई मुख्यमंत्रियों ने पहले ही पुष्टि की है कि वे बैठक में भाग नहीं लेंगे। इसी संदर्भ में ममता बनर्जी ने भी बैठक में भाग नहीं लेने का फैसला किया है। हालांकि, इस निर्णय के बारे में अधिक जानकारी अभी भी प्रतीक्षित है।
यह अटकलें तब और तेज हो गईं जब ममता बनर्जी, जिन्हें आज तीन दिवसीय यात्रा पर दिल्ली जाना था और बैठक में भाग लेना था, ने अपनी यात्रा रद्द कर दी। यह स्पष्ट नहीं है कि वह कल यात्रा करेंगी या नहीं।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने पहले ही नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है। केसीआर ने कहा कि उनका बहिष्कार तेलंगाना के अधिकारों को चोट पहुंचाने और धन जारी न करने के विरोध के रूप में होगा।
मुख्य बिंदु:
- नीति आयोग की बैठक से अनुपस्थिति: ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया है।
- विपक्ष शासित राज्यों का बहिष्कार: तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों ने पहले ही बैठक का बहिष्कार करने का ऐलान किया है।
- ममता बनर्जी की यात्रा रद्द: ममता बनर्जी ने अपनी दिल्ली यात्रा रद्द कर दी है, जिससे उनकी अनुपस्थिति की अटकलें तेज हो गई हैं।
- तेलंगाना के अधिकारों का मुद्दा: तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने केंद्र सरकार पर तेलंगाना के अधिकारों को चोट पहुंचाने और धन जारी न करने का आरोप लगाया है।
इस परिप्रेक्ष्य में ममता बनर्जी की अनुपस्थिति महत्वपूर्ण है, जो कि विपक्ष की एकजुटता और केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध का संकेत हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बैठक से ममता बनर्जी की अनुपस्थिति का क्या प्रभाव पड़ता है और इसके राजनीतिक परिणाम क्या होते हैं।