इस बजट से हर वर्ग को हाथ लगी निराशा
चौपाल संवाद, फतेहपुर – केंद्र सरकार का पहला बजट घोषित होने के बाद से लगातार प्रतिक्रियाओं का दौर चल रहा है। बुधवार को उद्योग व्यापार मंडल उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इस बजट में मध्यमवर्गीय व्यापारियों का ध्यान नहीं दिया गया है। बजट से हर वर्ग को निराशा हाथ लगी है।
व्यापारियों की प्रतिक्रिया
शहर के पक्का तालाब स्थित एक परिसर में संगठन के जिलाध्यक्ष मनोज साहू ने कहा कि छोटे और मध्यमवर्गीय व्यापारियों का बजट में कोई ध्यान नहीं दिया गया है। वर्तमान में ऑनलाइन दुकानों के कारण प्रत्येक माह कई व्यापारी अपनी दुकान बंद करने को मजबूर हो रहे हैं। इसका प्रमुख कारण जीएसटी, कमर्शियल कनेक्शन और विभिन्न प्रकार के लाइसेंस हैं। एक परचून या पान की दुकान का भी कमर्शियल कनेक्शन है जिससे उस पर आर्थिक बोझ पहले ही इतना हो जाता है कि वह अपने खर्चे नहीं निकाल पा रहा है। दूसरी तरफ ऑनलाइन सामानों की बिक्री मूल्य में इतना भारी अंतर होता है कि स्थानीय व्यापारी की कमर टूट जाती है। सरकार ने इस दिशा में कोई कार्य नहीं किया जिसकी अत्यंत आवश्यकता थी।
अन्य पदाधिकारियों की प्रतिक्रिया
नगर अध्यक्ष कृष्ण कुमार तिवारी ने कहा कि बजट से हर वर्ग को निराशा हाथ लगी है। किसानों की उर्वरक सब्सिडी में कमी, एलपीजी सब्सिडी में कमी, सरकारी नौकरी की कोई घोषणा नहीं, युवा को इंटर्नशिप के बाद के भविष्य में कोई चर्चा नहीं, ये कुछ बिंदु हैं जिससे बजट भ्रमित करने वाला महसूस हो रहा है। सरकार ने गरीब महिलाएं, युवा और किसान की चार जातियों पर फोकस करने की बात कही है, परंतु कहीं न कहीं उनके हित भी इस बजट से प्रभावित हो रहे हैं।
जिला संरक्षक की टिप्पणी
जिला संरक्षक श्रवण कुमार दीक्षित ने कहा कि आम एवं मध्यम वर्ग के लोगों के लिए यह बजट कोई खास नहीं है। इनकम टैक्स में कुछ छूट देने से सरकारी कर्मचारी एवं पेंशन भोगी लोगों की बचत में थोड़ा सा फर्क पड़ सकता है। व्यापारी हित में लोन का दायरा बढ़ाने से भी लाभ दिखता प्रतीत नहीं होता है, क्योंकि बैंक लोन देने में बहुत आना-कानी करते हैं। जिसके सरलीकरण हेतु सरकार को एकल खिड़की व्यवस्था बनाना जरूरी है।
निष्कर्ष
यह बजट व्यापारियों और आम जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरता दिख रहा है। मध्यमवर्गीय व्यापारियों की समस्याओं का समाधान करने में बजट विफल रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और अधिक कमजोर हो सकती है। सरकार को चाहिए कि वह व्यापारियों और आम जनता की समस्याओं को समझे और उनके हित में नीतियाँ बनाए।