नई दिल्ली, एजेंसी। गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने राजनीतिक विमर्श में हिंसक बयानबाजी के बढ़ते इस्तेमाल पर चिंता व्यक्त की। त्रिवेदी ने कहा, “आज एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने देश के एक अंग्रेजी अखबार में एक लेख लिखा है।” उन्होंने कहा कि लेख में उन्होंने सुरक्षा से जुड़ी मौजूदा वैश्विक गतिविधियों और उनके भारत पर पड़ने वाले असर की ओर ध्यान खींचा है।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “आप सभी को ज्ञात है, एक डेढ़ वर्ष पूर्व जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे जी की एक राजनीतिक कार्यक्रम में हत्या हुई। कुछ दिन पहले अमेरिका में राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप पर जानलेवा हमला हुआ जिसमें वो बाल-बाल बचे।” उन्होंने कहा कि इस प्रकार की प्रवृत्तियां जो हत्या और हिंसा को उकसाती हैं, ये कहीं न कहीं उन बयानों से प्रभावित होती हैं, जहां राजनीतिक दल अपने तात्कालिक राजनीतिक स्वार्थ में शॉर्ट टर्म राजनीतिक लाभ के लिए हिंसा और हत्या का प्रयोग करना चाहते हैं।
भाजपा नेता ने कहा कि “एक दुखद परन्तु चिंताजनक बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विरुद्ध इस प्रकार की शब्दावली (हिंसा के लिए उकसाने वाली भाषा) निरंतर की जा रही है।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान पिछले वर्ष कई बार अपमानजनक शैली में मोदी जी के लिए “मारना”, “डंडे मारना” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “हम साफ शब्दों में कहना चाहेंगे कि मौत और हिंसा जैसे शब्दों का प्रयोग बयानों में नहीं होना चाहिए, लेकिन कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने मोदी जी के लिए इस प्रकार की ‘मौत’ और ‘उस प्रकार की मौत’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया।” उन्होंने कहा कि “कब्र खुदेगी”, “मर जा”, “सर फोड़ देंगे” जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया और यह बात आज की नहीं है, यह विगत कई वर्षों से की जा रही है।
उन्होंने कहा कि हिंसा और हत्या जैसे शब्दों का प्रयोग बंद होना चाहिए। दुनिया में इसके उदाहरण दिख रहे हैं, भारत में इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं। “अगर आप लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बने हैं, तो उत्साह से उच्छृंखलता और उच्छृंखलता से उदंडता की ओर मत जाइए, परिपक्वता का प्रदर्शन कीजिए।”