अमिताभ पाण्डेय

हालिया सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि दिल्ली में पहली बार वोट देने वाले युवाओं ने जलवायु परिवर्तन को अपने राजनीतिक एजेंडे में सबसे ऊपर रखा है। इस सर्वेक्षण में शामिल 40 प्रतिशत युवाओं का मानना है कि सरकार जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से निपटने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है। वहीं, 83 प्रतिशत ने अपने स्कूल में दी जा रही पर्यावरण शिक्षा को औसत या बेहद खराब माना है। ये आंकड़े परसेप्शन ऑफ फर्स्ट-टाइम वोटर्स ऑन क्लाइमेट एजुकेशन इन इंडिया सर्वे में सामने आए हैं, जिसे असर सोशल इम्पेक्ट एडवाइजर्स, क्लाइमेट एजुकेटर्स नेटवर्क और सीएमएसआर कंसल्टेंट्स ने चार राज्यों – दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के सात शहरों में किया है।

जलवायु शिक्षा की आवश्यकता

टीबीएफ- द बनियन फाउंडेशन की एजुकेशन डायरेक्टर स्वाति क्वात्रा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारणों और नकारात्मक प्रभावों को गिनाना ही पर्याप्त नहीं है। युवाओं को केवल निराशा, भय और चिंता महसूस होगी तो वे बेचौन होंगे। इसीलिए जलवायु शिक्षा को समाधान वाले दृष्टिकोण के साथ और अधिक व्यावहारिक बनाना होगा। साथ ही यह दृष्टिकोण संकट से निपटने, लचीली रणनीतियों और टिकाऊ उपभोग पर केंद्रित होना चाहिए।

सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्ष

सर्वेक्षण में शामिल युवाओं में से 58 प्रतिशत ने कहा कि स्कूल-कॉलेज में उन्हें मिली जलवायु शिक्षा औसत है, जबकि 25 प्रतिशत ने इसे खराब माना। सर्वेक्षण में शामिल 40 प्रतिशत युवाओं का मानना है कि सरकार जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से निपटने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है। 59 प्रतिशत युवाओं का मानना है कि उन्हें जलवायु परिवर्तन के कारणों और परिणामों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। सर्वेक्षण के अनुसार, 67 प्रतिशत ने कहा कि वे इस बारे में कुछ हद तक ही जानते हैं।

युवाओं ने जलवायु संकट से निपटने के लिए तीन बड़े तरीके गिनाए: 19 प्रतिशत ने परिवहन में टिकाऊ ढांचे को बढ़ाने, 18 प्रतिशत ने नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को प्राथमिकता देने और 17 प्रतिशत ने जलवायु शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रमों पर जोर देने की बात कही।

राजनीतिक मुद्दों पर युवाओं की राय

सर्वेक्षण में शामिल 63 प्रतिशत युवाओं ने कहा कि उन्होंने जलवायु शिक्षा के पहलुओं को अपने दैनिक जीवन में अपना लिया है। हालांकि, समूह चर्चा के दौरान अधिकांश युवाओं का जलवायु परिवर्तन से आशय पर्यावरण के मुद्दे थे। उदाहरण के लिए, जब युवाओं से जलवायु परिवर्तन से निपटने के तरीके पूछे गए तो ज्यादातर ने पेड़ लगाने को इसका समाधान बताया।

सुझाव और सिफारिशें

क्लाइमेट चेंज के विषयों को व्यापक रूप से समझने के लिए स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम की समीक्षा और उन्हें अपडेट करने की जरूरत है। साथ ही इसे सुधारने की रणनीतियों और अंतरराष्ट्रीय केस स्टडीज जैसे नए पहलुओं को शामिल करना चाहिए। समग्र समझ को बढ़ावा देते हुए, सामाजिक चुनौतियों के साथ इसके अंतर्संबंध को सामने लाने के लिए सभी विषयों में जलवायु शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

बच्चों में शुरूआत से ही पर्यावरण संबंधी साक्षरता पैदा करने के लिए प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में आयु के हिसाब से जलवायु शिक्षा मॉड्यूल लाने की जरूरत है। जैसे-जैसे छात्र आगे बढ़ेंगे, उसी हिसाब से जलवायु परिवर्तन संबंधी विषयों में भी बढ़ोतरी की जानी चाहिए। इससे सही उम्र में सही जलवायु शिक्षा सुनिश्चित होगी।

जलवायु परिवर्तन से संबंधित व्यावहारिक गतिविधियों, क्षेत्रीय कार्य और सामुदायिक परियोजनाओं की समझ और प्रतिबद्धता को गहरा करने के लिए सुविधाजनक बनाना। छात्रों को पर्यावरणीय चुनौतियों से जोड़ने के लिए प्रयोगों, यात्राओं और केस-स्टडीज जैसे संवादी तरीकों के माध्यम से जोड़ना।

पर्यावरणीय स्थिरता के लिए छात्र-नेतृत्व वाले मंच स्थापित करें, कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं में भागीदारी को प्रोत्साहित करें। स्कूलों में अनिवार्य जलवायु शिक्षा और सभी स्तरों पर प्रभावी नीति के कार्यान्वयन की वकालत जरूरी है।