नवीन सागर
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति एवं आगामी चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के संभावित प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रम्प पर हुआ हमला अत्यंत चिंताजनक और निंदनीय है। भारतीय समयानुसार सुबह 4 बजे उन पर पेन्सिलवानिया राज्य के बटलर शहर में उनके समर्थकों को संबोधित करते हुए हमला किया गया। यह अमेरिका की शनिवार की शाम थी। एक युवा ने उन पर ताबड़तोड़ तकरीबन 8 गोलियां चलाईं जिनमें से एक उनके दायें कान को छूती हुई निकल गई, जिससे उनका चेहरा लहूलुहान हो गया। हालांकि ट्रम्प ने बेहद फुर्ती और समझदारी से स्वयं को पोडियम के नीचे सुरक्षित कर लिया। सुरक्षाकर्मियों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उन्हें पहले सुरक्षा दी और फिर कार में बिठाकर अस्पताल पहुंचाया। दूसरी तरफ, उनके एक स्नाइपर ने हमलावर को ढेर कर दिया। इस 20 वर्षीय हमलावर की एआर-15 राइफल मिली है। जांच से पता चलेगा कि उसका मकसद क्या था और इस षड्यंत्र में कौन लोग या संगठन शामिल थे। रैली में शामिल एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो घायल हुए हैं।
यह घटना अमेरिका की राजनीति में लम्बे समय बाद ऐसी हिंसा का उदाहरण है। अब्राहम लिंकन की 1865 में और जॉन एफ. कैनेडी की 1968 में हत्या हुई थी। 1972 में राष्ट्रपति उम्मीदवार जॉर्ज सी. वैलेस पर भी गोलियां चलाई गई थीं, जिसके बाद वे जीवनभर व्हील चेयर पर रहे। ट्रम्प वर्तमान में तो दुनिया के सबसे ताकतवर पद पर नहीं हैं, लेकिन एक बार वे राष्ट्रपति रह चुके हैं और इस बार फिर से अपनी पार्टी के प्रत्याशी हो सकते हैं।
उनकी हत्या की साजिश का कारण अमेरिका का कोई भीतरी मसला या फिर अंतरराष्ट्रीय मुद्दा हो सकता है। यह घटना एक बार फिर से इस बात को प्रतिपादित करती है कि हिंसा किसी भी मकसद के लिए नहीं अपनाई जानी चाहिए और वह किसी भी समस्या का हल नहीं है। ट्रम्प का कार्यकाल कई विवादों से घिरा रहा है और उन पर अनेक आरोप लगे हैं।
ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान, जब वे जो बाइडेन से राष्ट्रपति का चुनाव हार गए थे, तब उन्होंने सत्ता का हस्तांतरण बहुत आसानी से नहीं किया था। कैपिटल हिल पर उनके समर्थकों ने धावा बोल दिया था और पुलिस तथा सुरक्षा कर्मियों को शांति स्थापित करने में खासी मशक्कत करनी पड़ी थी। ट्रम्प अमेरिकी इतिहास के पहले पूर्व राष्ट्रपति हैं जिन्हें आपराधिक मामलों में सजा सुनाई गई है।
यह घटना केवल अमेरिका के संदर्भ में ही नहीं बल्कि वैश्विक शांति व अहिंसा के नजरिये से भी देखी जानी चाहिए। महात्मा गांधी, नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग ने भी इसी अहिंसा की वकालत की थी। हिंसा का मूल नफरत में है और ट्रम्प की राजनीति का आधार भी यही घृणा एवं हिंसा है।
यह भी उल्लेखनीय है कि थॉमस मैथ्यू क्रूक्स नामक युवक, जिसने ट्रम्प पर गोलियां चलाईं और जिसे सीक्रेट सर्विस एजेंट ने तत्काल मार गिराया, वह स्वयं रिपब्लिकन पार्टी का समर्थक था। दिलचस्प तथ्य यह है कि डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका की गन लॉबी के बड़े समर्थक हैं। उन्होंने यह भी वादा कर रखा है कि अगर वे फिर से राष्ट्रपति बनते हैं तो वे बाइडेन के लगाए प्रतिबंधात्मक नियमों को शिथिल कर देंगे।
अमेरिका दुनिया में नागरिकों के नाम पर सर्वाधिक अनुमति प्रदान करने वाला देश है। इसके कारण कई बार सार्वजनिक स्थानों पर अंधाधुंध फायरिंग की खबरें आती रहती हैं। स्कूलों में छोटे बच्चे तक अपने सहपाठियों पर गोलियां बरसा देते हैं। इसका कारण यह है कि हर दूसरे-तीसरे व्यक्ति के हाथों में कोई तमंचा या बंदूक होती है।
कोई भी समाज तब तक अहिंसक नहीं हो सकता जब तक कि सरकारें अहिंसा में भरोसा न करने लगें और ऐसा समाज बनाने का प्रयास न करें। इस घटना से स्पष्ट है कि किसी भी समाज में हिंसा किसी भी मकसद से स्वीकार्य नहीं होनी चाहिए और राजनीतिक नेताओं को भी अपने व्यवहार में संयम बरतना चाहिए ताकि समाज में हिंसा और नफरत का प्रसार न हो।